The Greatest Guide To Shodashi
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥
तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥
The Shodashi Mantra instills endurance and resilience, aiding devotees keep on being constant as a result of worries. This reward enables persons to solution hurdles with calmness and willpower, fostering an interior strength that supports personalized and spiritual development.
सा नित्यं नादरूपा read more त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
Devotees of Shodashi interact in a variety of spiritual disciplines that purpose to harmonize the thoughts and senses, aligning them Along with the divine consciousness. The following points define the progression to Moksha by means of devotion to Shodashi:
नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः
यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं